डोमिसाइल, कास्ट सर्टिफिकेट बनाने के लिए नागरिकों को तहसीलदार, अधिकारी कर रहे है परेशान
नागपुर- नागपुर का जिलाधिकारी कार्यालय नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. रोजाना हजारों नागरिक सेतु कार्यालय में डोमिसाइल सर्टिफिकेट, कास्ट सर्टिफिकेट बनवाने आते है. लेकिन यहां के अधिकारी और कर्मचारी नागरिकों को कई दिनों तक इस टेबल से उस टेबल पर भेजकर परेशान कर देते है. हारकर सर्टिफिकेट बनानेवाले लोग दलाल से काम करवा लेते है. किसी को अगर डोमिसाईल या कास्ट सर्टिफिकेट बनवानी है. तो सबसे पहले उसको तहसील कार्यालय से फॉर्म भरना पड़ता है. इसके बाद उसे लाइन में लगकर पैसे भरकर फोटो और तहसीलदार के सिग्नेचर लेने पड़ते है. इसके बाद सेतु कार्यालय में जाकर लाइन में लगकर उसके पास के सभी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन कराने पड़ते है. अगर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन ठीक से हो गया तो वहां फ़ीस भरकर डॉक्यूमेंट स्कैनिंग की प्रक्रिया होती है, इसके बाद चौथी लाइन में लगकर फॉर्म भरने की प्रोसेस होती है. यह पूरी प्रक्रिया होने के बाद उसे एक स्लिप दी जाती है और उसको 15 दिनों के बाद काउंटर नंबर 17 से सर्टिफिकेट मिलेगा, ऐसा बताया जाता है. लेकिन यह इतना आसान नहीं होता. क्योकि 15 दिनों के बाद ही असली मानसिक तकलीफ और परेशान परेशानी शुरू होती है.
15 दिनों के बाद काउंटर नंबर 17 से कुछ लोगों को सर्टिफिकेट दिए जाते है , तो ज्यादतर नागरिकों को तीन से चार अधिकारियो यानी तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कुछ अधिकारियों के नामों को स्लिप पर लिखकर दिए जाते है और उनसे क्लियर करवाने की बात सम्बंधित नागरिक को बताई जाती है. इसके बाद सम्बंधित नागरिक इस तहसील कार्यालय के तहसीलदार और नायब तहसीलदार के कार्यालय में जाकर पूछता है तो उसे दूसरे अधिकारी से क्लियर कराने के लिए कहां जाता है. इस टेबल से उस टेबल पर तहसीलदार और नायब तहसीलदार के पी. ए की ओर से समबंधित नागरिकों को परेशान किया जाता है.
नागपुर तहसील कार्यालय में ही तहसीलदार सूर्यकांत पाटिल का कार्यालय है. यहां तहसीलदार पाटिल केवल सुबह 11 बजे से लेकर 2 बजे तक ही डॉक्यूमेंट को क्लियर करने का काम करते है. कार्यालय के बाहर इनके पी.ए की ओर से कार्यालय के बाहर डॉक्यूमेंट क्लियर होने का इंतजार कर रहे नागरिकों का रजिस्ट्रेशन नंबर और नाम एक कागज पर लिख देता है और कहता है की शाम तक क्लियर हो जाएगा. लेकिन कई नागरिक इसी तरीके से रोजाना आकर नाम लिखवाते है. लेकिन इनको अभी तक सर्टिफिकेट नहीं मिला है. सर्टिफिकेट के लिए कई दिनों से चक्कर लगा रहे , नागरिकों ने भी अपनी समस्या इस दौरान बताई है.
15 दिनों से सर्टिफिकेट के लिए तहसीलदार के केबिन के चक्कर लगा रहे है नागरिक
तहसील कार्यालय में ही तहसीलदार सूर्यकांत पाटिल के कार्यालय के बाहर ऐसे भी कई नागरिक आते है, जो दुर के गांवो से आते है, लेकिन उनका जिला नागपुर है. कई ऐसे भी है, जो 15 दिनों से लगातार पी.ए के पास नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर लिखवा रहे है, लेकिन अभी तक उनको सर्टिफिकेट नहीं दिया गया. इस दौरान कई नागरिकों ने केबिन के बाहर भी तहसील ऑफिस की इस कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी जताई है. तहसीलदार पाटिल भी सभी से नहीं मिलते है.
तहसील कार्यालय के कर्मचारी किसी भी तरह से नागरिकों की मदद नहीं करते
तहसील कार्यालय के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के केबिन के बाहर रोजाना परेशान नागरिक चक्कर लगाते है. लेकिन नागरिकों की किसी भी प्रकार से कोई भी कर्मचारी कोई मदद नहीं करता, या फिर उसे जानकारी देने की भी जहमत नहीं उठाई जाती. यह कर्मचारी लगातार अपने काम से गायब ही रहते है, या फिर घंटो फ़ोन पर लगे होते है.
ख़ुशी से नहीं मज़बूरी में कराना पड़ता है एजेंटो से काम
किसी भी सर्टिफिकेट को बनवाने के लिए कई नागरिक एजेंटो की मदद लेते है. यह एजेंट बिना किसी परेशानी के तय समय में सर्टिफिकेट दे देते है. लेकिन अगर कोई नागरिक बिना एजेंट के सर्टिफिकेट बनवाना चाहता है. तो उसे सेतु कार्यालय और तहसील कार्योलयों के तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों और कर्मचारियों की ओर से इस कदर परेशान किया जाता है कि वह थक हारकर ज्यादा पैसे देकर एजेंट से अपना काम करवाता है. नागरिक ख़ुशी से नहीं मज़बूरी में एजेंटो की मदद लेता है. ऐसा तहसील कार्यालय में पहुंचे नागरिकों का कहना था.
जब 15 दिन में सर्टिफिकेट मिलना है तो 15 दिन बाद दूसरे अधिकारियो को मिलने के लिए क्यों कहा जाता है
तहसील कार्यालय के बाद सेतु कार्यालय में सभी डाक्यूमेंट्स सर्टिफिकेट के लिए जमा कराने के 15 दिन बाद आखिर सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिया जाता, नागरिकों को स्लिप पर अलग अलग अधिकारियो के नाम लिखकर दिए जाते है और इन अधिकारियो के केबिन के चक्कर लगाते लगाते खुद वो व्यक्ति परेशान हो जाता है.
यह कैसी डिजिटल प्रक्रिया ?
सरकार द्वारा सब ऑनलाइन हो चूका है. सभी डॉक्युमेंट्स अब डिजिटल हो चुके है. लेकिन जब सभी ऑनलाइन हो चूका है , तो सीधे 15 दिनों के बाद नागरिकों को सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिए जाते, या फिर सेतु में ही डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय उसे सही तरीके से वेरीफाई क्यों नहीं किया जाता. आखिर क्यों कर्मचारी, अधिकारी की लापरवाही और कामचोरी के कारण आम व्यक्ति को परेशान होना पड़ता है.
नागपुर जिलाधिकारी इस टेबल से उस टेबल की व्यवस्था को करे दुरुस्त
सेतु कार्यालय में 15 दिन बाद जिस काउंटर से सर्टिफिकेट मिलना चाहिए, वहां से तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों के नाम स्लिप पर लिखे जाते है. इसके बाद इनके केबिन के चक्कर लगाते लगाते और इनके पीए द्वारा परेशान करते करते, व्यक्ति को काफी मानसिक तकलीफ होती है. इस व्यवस्था को दुरुस्त करने और सिंगल विंडो या फिर प्रक्रिया पूरी होने के बाद सीधे सर्टिफिकेट मिले, इसकी व्यवस्था करने की मांग अब नागरिक भी जिलाधिकारी रविंद्र ठाकरे से कर रहे है.
डोमिसाइल, कास्ट सर्टिफिकेट बनाने के लिए नागरिकों को तहसीलदार, अधिकारी कर रहे है परेशान
from Nagpur Today : Nagpur News https://ift.tt/3qXHnhg
via
No comments