जिंदगी को बर्बाद करने का रास्ता है नशा : डॉ. प्रितम.गेडाम
(नेशनल एंटी-ड्रग डे और मद्य निषेध सप्ताह विशेष – 2-8 अक्टूबर)
नागपुर- पूरी दुनिया में नशा, मानव समाज के लिए एक अभिशाप बनकर उभरा है। लाखों मासूम बच्चे और जिम्मेदार युवा पीढ़ी भी नशे के आदी हो गए हैं। नशा इतना हावी हो गया है कि आदमी त्योहारों, समारोहों, रोज़मर्रा की गतिविधियों में, किसी से मिलने पर, हर जगह नशा करने के लिए बहाने ढूँढता है। वह नशे के लिए अपने बहुमूल्य जीवन को भेट चढ़ाता है, नशे से आदमी भीतर से पूरी तरह खोखला, बर्बाद हो जाता है, समाज से तिरस्कार मिलता है और शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार हो कर तड़प-तड़प कर मरता है। 5-6 साल तक के छोटे-छोटे बच्चे भी तम्बाकू खाते, हानिकारक रसायनों को सूँघते और नशा करते हुए नजर आते है। भारत में हर तीसरे शराब उपयोगकर्ता को शराब से जुड़ी समस्याओं के लिए मदद की जरूरत है।
नशे की गिरफ़्त में मासूम बचपन :- छोटे बच्चों के नशे के मामले पहले भी आते रहे हैं। स्लम एरिया के अलावा, इसमें संपन्न घरों के बच्चे भी हैं। कम उम्र में नशा बच्चों के दिमाग को, विकास को प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे मानसिक बीमारी के शिकार हो जाते हैं। नशे में इंजेक्शन लगाने पर एचआईवी जैसे खतरनाक बिमारियों की भी संभावना होती है। आसपास का वातावरण नशे के लिए सबसे बड़ा कारक है, जिन बच्चों के माता-पिता या स्कूल के शिक्षक नशे के आदी होते हैं, उनमें सबसे अधिक जोखिम होता है, अच्छे संस्कार की कमी, खराब पड़ोस, बुरी संगत, बच्चों पर इंटरनेट, टीवी-फिल्मों का असर, हमेशा व्यस्त रहने वाले माता-पिता जो बच्चों को समय नहीं देते हैं, अक्सर बच्चों की ग़लतियों को अनसुनी करते हैं और बिना सोचे-समझे बच्चों की अवैध मांगों को पूरा करते हैं, माता-पिता का बच्चों पर नियंत्रण नहीं होता है, ऐसे बच्चे नशे की ओर जल्दी आकर्षित हो जाते हैं। इसके अलावा, सड़कों पर काम करने वाले बच्चे नशे के सबसे अधिक आदी होते हैं।
बच्चों में नशे का प्रमाण लगातार बढ़ रहा :- भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारीता मंत्रालय के वर्ष 2018 के राष्ट्रिय सर्वेक्षण अनुसार देश में 10 से 17 साल के 1.48 करोड बच्चे नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे है। व्हाइटनर, पंचर बनाने के सोलूशन, कफ सिरप, पेट्रोल, थिनर, सनफिक्स बॉन्ड फिक्स जैसे तेज हानिकारक रासायनिक ज्वलनशील नशीले पदार्थों को सूंघकर नशा करनेवाले बच्चों की संख्या साधारणत 50 लाख है, तकरीबन 30 लाख बच्चे शराब पीते हैं, 40 लाख बच्चे नशे के लिए अफीम लेते हैं और 20 लाख बच्चे भांग का नशा करते हैं इसके अलावा सिगरेट, तंबाकू, नशीली दवाओं से इंजेक्शन लगाना इत्यादि का नशा भी बडी मात्रा में कर रहे हैं। ये बच्चे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, स्लम एरिया, सुनसान खंडहर, सार्वजनिक पार्क में समूह बनाकर नशे करते पाए जाते हैं। सबसे बड़ी समस्या समाज में इन नशे की आसान उपलब्धता है। दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग की पहल पर 2016 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, राजधानी में 70 हजार बच्चें नशा करनेवाले पाये गये थे। आज कोरोना काल में, नशे के लिए बच्चों से लेकर वयस्कों तक, हैंड सैनिटाइज़र पीने की भी लत लग रही है क्योंकि इसमें अल्कोहल होता है, अल्कोहल आधारित सैनिटाइज़र पीने के कई मामले सामने आए हैं जिसमें नशेड़ीयों की मौत हुईं हैं।
नशे के कारण अपराध में तेजी से वृद्धि :- अपराध ब्यूरो रिकॉर्ड के अनुसार, बड़े-बड़े अपराधों, हत्या, डकैती, लूट, अपहरण आदि सभी प्रकार की घटनाओं में, नशे का मामला लगभग 73.5% और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में 87% तक होता है। देश में बढ़ते अपराध, बीमारियों और हिंसा में भी नशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नशाखोरी के कारण इन मासूमों का बचपन बर्बाद होता है, साथ ही उनमें अपराध की प्रवृत्ति भी पैदा होती है। नशे के चंगुल में बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है। नशे में मनुष्य का मस्तिष्क पर नियंत्रण नही होता और नकारात्मक विचारों मे वृद्धि होती हैं। पैसों की ख़ातिर, बच्चे अक्सर झूठ बोलना, ज़िम्मेदारी से भागना, मोबाइल, पर्स, चेन स्नैचिंग, वाहन चोरी करना, और नशे के लिए अपराध करना शुरू कर देते हैं। ये ही बड़े होकर संगीन अपराधों को अंजाम देने लगते हैं। इसी तरह से हमारे समाज में नई आपराधिक साम्राज्य की शुरूआत होती है आजकल बड़े अपराधों में नाबालिक अपराधी बहुत सक्रिय प्रतीत होते हैं। हम प्रतिदिन ऐसी ख़बरें देखते और पढ़ते हैं। कभी-कभी लोग इन बच्चों को चोरी करते हुए पकड़ लेते हैं, डाट डपटकर, तमाचा लगाकर छोड़ देते है, लेकिन ज़मीनी तौर पर उन्हें उचित मार्गदर्शन देने का कोई प्रयास नहीं किया जाता। ये बच्चे हमारे राष्ट्र के उज्जवल भविष्य हैं। यदि आज हम उनके अस्तित्व को नहीं संभालेंगे तो उन्हें भविष्य का आधारस्तंभ कैसे कहे?
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा शराब के दुष्प्रभावों पर चौंकाने वाले तथ्य और आंकड़े
- शराब की लत हर साल 30 लाख से अधिक लोगों को मार देती है। हर 20 मौतों में 1 मौत के लिए शराब कारण है। शराब संबंधित कारण से हर 10 सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु होती है।
- 38.3% आबादी वास्तव में शराब पीती है, जिसका अर्थ है कि ये लोग औसतन 17 लीटर शराब का उपभोग करते हैं। कुल मिलाकर, शराब वैश्विक बीमारी के बोझ को 5.3% से अधिक बढ़ाती है।
- कुछ 3.10 करोड़ लोग नशीली दवाओं के दुरुपयोग से बीमार हैं। लगभग 1.10 करोड़ लोग ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं, जिनमें से 13 लाख एचआईवी के साथ, 55 लाख हेपेटाइटिस सी के साथ जी रहे हैं ।
- 200 से अधिक बीमारियों और गंभीर चोटों के लिए शराब का सेवन एक प्रमुख कारण है। नशा जीवन में अपेक्षाकृत जल्दी मृत्यु और विकलांगता का कारण है। 20-39 वर्ष की आयु में, कुल मृत्यु का लगभग 13.5% शराब के कारण होता है।
- लगभग 23.7 करोड़ पुरुष और 4.6 करोड़ महिलाएं शराब से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं। भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1 लाख मौतें अप्रत्यक्ष रूप से शराब के दुरुपयोग से संबंधित हैं। दूसरी ओर, हर साल 30 हजार कैंसर रोगियों की मृत्यु के पीछे शराब का उपयोग एक कारण है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 15.10 करोड़ लोग शराब के गंभीर शिकार हैं, जिनमें से 5.7 करोड़ लोगों को उपचार की तत्काल आवश्यकता है। वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2020 के अनुसार, दुनिया में लगभग 3.56 करोड़ लोग गंभीर नशे के कारण विभिन्न विकारों से पीड़ित हैं। यह आंकड़ा कोरोना अवधि में और बढ़ने की उम्मीद है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा शुरू किया गया सेफर, एक उपचारात्मक पहल है जो उच्च-प्रभाव, साक्ष्य-आधारित, लागत प्रभावी हस्तक्षेपों का निरीक्षण करके हानिकारक शराब के उपयोग से होने वाली मौतों, बीमारियों और दुर्घटनाओं को कम करने का प्रयास करता है।
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय ड्रग रैकेट से लगभग 1,300 करोड़ रुपये की ड्रग्स की खेप बरामद की है, भारत में 100 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई है, जबकि ऑस्ट्रेलिया से 1,200 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई है। नवी मुंबई में कुछ दिन पहले अफग़ानिस्तान से भारत लाई गई 1,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स को पुलिस ने जब्त कर लिया है। 20 सितंबर, 2020 को, सीमा सुरक्षा बल ने जम्मू इंटरनेशनल बॉर्डर पर 300 करोड़ रुपये की 62 किलोग्राम हेरोइन जब्त की। ऐसे कई मादक पदार्थ, नकली शराब हमेशा जब्त की जाती हैं लेकिन लोगों में इस तरह के घातक नशीले पदार्थों की लत कम नहीं हो रही हैं। ज़हरीली शराब भी मौतों की संख्या बढ़ा रही है, अभी दो महीने पहले, ज़हरीली शराब ने पंजाब में हाहाकार मचाया था जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। इसी तरह की घटनाएँ कई राज्यों में हुई हैं। नशेड़ी न केवल खुद बर्बाद हो जाता है, बल्कि परिवार, पड़ोसियों, रिश्तेदारों, समाज को भी शर्मसार करता है। बॉलीवुड भी नशे से अछूता नहीं है, सुशांत के मामले में अब ड्रग कनेक्शन के बारे में नई जानकारी इकट्ठा की जा रही है जिसमें बड़े फिल्म सितारों के नाम आगे आ रहे हैं। पार्टी के नाम पर लंबे समय से घातक नशे का इस्तेमाल किया जाता रहा है।
आजादी के बाद से देश में शराब की खपत 60 से 80 गुना तक बढ़ गई है। सच है कि शराब की बिक्री से सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त होता है। लेकिन इस प्रकार की आय हमारी सामाजिक संरचना को नुकसान पहुंचा रही है और परिवार के परिवार तबाह हो रहे हैं। हम तेजी से विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 272 सबसे अधिक प्रभावित जिलों में 2020-21 के लिए नशा-विरोधी कार्य योजना के तहत नशा मुक्ति अभियान चलाया है। हर साल, केंद्र और राज्य सरकारें नशा मुक्ति हेतु अनुदान, जन जागरूकता कार्यक्रमों और विज्ञापनों, स्वास्थ्य व्यवस्था पर अरबों रुपये खर्च करती हैं। नशीली दवाओं की लत से छुटकारा पाने में नशा करनेवालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात आत्मनियंत्रण और मजबूत इच्छाशक्ति होने के साथ-साथ योग्य उपचार, उचित मार्गदर्शन, परिवार और अपनों का सहयोग, निर्व्यसनी मित्र, सकारात्मक प्रोत्साहन देनेवाले व्यक्तिगण, पौष्टिक आहार, व्यायाम, खुशहाल वातावरण, स्वयँ को व्यस्त रखना, ज़िम्मेदारी समझना, परिवार के प्रति निष्ठा भाव और सकारात्मक सोच की आवश्यकता होती है। पालक बच्चों के लिए समय निकालें, उनसे मित्रतापुर्वक बर्ताव करें, बच्चों की संगत पर ध्यान रखे, बच्चों के बदलते व्यवहार को समझें, समस्या नजर आने पर उन्हे विश्वास में लेकर उनसे बात करें, तुरंत तज्ञो की सलाह लें, एक अच्छे पालक और जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज निभायें।
डॉ. प्रितम भि. गेडाम
भ्रमणध्वनी क्रं 82374 17041
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