11 करोड़ की सुपारी गोदाम से रातों-रात उठा ली सुपारी तस्कर ने
– डीआरआई अधिकारियों से सांठगांठ का आरोप,प्रकरण की जांच करने हेतु केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री से मांग
नागपुर – महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर, संपूर्ण भारत में वर्षों से सुपारी का बड़ा केंद्र (हब) रहा है। यहां रोजाना 12 से 15 ट्रक सुपारी की खरीदी- बिक्री होती है और यहां लगभग 100 से अधिक सुपारी का टुकड़ा कर साफ करने के कारखाने हैं। यहां 300 से अधिक सुपारी व्यवसायी हैं। माल का स्टॉक एवं स्टोरेज करने के लिए यहां बड़ी संख्या में कोल्ड स्टोरेज एवं वेयरहाउसेस भी हैं। इतना बड़ा व्यापार होने से यहां पिछले 2 वर्षों में डीआरआई अधिकारियों और दलालनुमा असामाजिक तत्वों की सांठगांठ की कई घटनाएं भी उजागर हो चुकी हैं। इनकी शिकायत भी समय-समय पर अनेक नेताओं, विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री से भी की गई है, किंतु डीआरआई के अधिकारी हमेशा ही दलालनुमा ‘वसूलीकर्ता’ असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर व्यापारियों को परेशान करते रहते हैं।
ऐसी ही एक कार्रवाई 29 मई 2019 को मोरिया कोल्ड एंड वेयरहाउस तथा हेलीवाल कोल्ड स्टोरेज में डीआरआई विभाग द्वारा की गई थी। तब इन गोदामों में रखे माल (सुपारी) को विदेशी और ड्यूटी चोरी का बताकर जप्त (सील) किया गया था। इसमें मोरिया कोल्ड वेयरहाउस में कुल 1623 बैग (वजन 117 टन, सुपुरदनामे के हिसाब से कीमत 7 करोड़ 42 लाख 43 हजार) और हेलिवाल कोल्ड में कुल 1070 बैग (वजन 105 टन, कीमत सुपुर्दनामा के हिसाब से 4 करोड रुपए) शामिल था। इस कार्रवाई के बाद उक्त वेयरहाउसेस के प्रतिनिधियों को वहां से डीआरआई ऑफिस ले जाया गया था। जबकि उक्त संपूर्ण माल (सुपारी) मेंगलोर, केरल, आसाम एवं भारत के ही अन्य क्षेत्रों से उत्पादित था।
उक्त प्रतिनिधियों के बयान लेकर डीआरआई ऑफिस में दर्ज करवाया गया कि उक्त माल किन-किन व्यापारियों का है? इसके लिए उन पर दबाव भी बनाया गया। ज्ञात हो कि मोरिया कोल्ड एंड वेयरहाउस, सत्यप्रकाश मोरिया का है, जबकि हेलिवाल कोल्ड, संजय हेलिवाल का है। यहां माल की साफ-सफाई और चुनवाई-छंटाई का काम होता है। इन दोनों ही गोदामों में अच्छी व्यवस्था होने के कारण नागपुर के ज्यादातर सुपारी व्यापारी अपना माल नहीं रखवाते हैं।
डीआरआई विभाग की उक्त कार्रवाई के दौरान लगभग 12-13 व्यापारियों का माल उक्त कोल्ड एंड वेयरहाउस में रखने से माल (सुपारी) की मात्रा ज्यादा थी। तब विभाग द्वारा जब्ती की उक्त कार्रवाई होने से बाजार एवं व्यापारियों में दहशत फैल गई थी। क्योंकि इसके 3 दिन पहले ही 27 मई 2019 को भी डीआरआई विभाग ने असंवैधानिक तरीके से कार्रवाई कर दो बड़े व्यापारियों को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था। वे डेढ़ माह बाद जमानत पर रिहा हुए थे। तब दो व्यापारियों को जेल भेजने की कार्रवाई से अन्य व्यापारियों सहित बाजार में घबराहट एवं भय का वातावरण बन गया था। परिणामस्वरूप सभी व्यापारियों ने डर के मारे मोरिया एवं हेलिवाल कोल्ड स्टोरेज में रखे अपने माल को अपना मानने से ही इनकार कर दिया था। क्योंकि सभी को अपनी गिरफ्तारी का डर सता रहा था। तब किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें!
उल्लेखनीय है कि डीआरआई विभाग द्वारा 29 मई 2019 को जप्त किए गए माल का सुपुर्दनामा 1 जुलाई 2019 को दिया गया। तब तक यह मामला ऊपर-ऊपर ही रखा गया। फिर समय निकलता गया, तो डीआरआई अफसरों ने व्यापारियों की घबराहट देख कर मामले को ऊपर ही ऊपर सुलझाने ( भ्रष्टाचार करके सेट करने) का मानस बनाया और भ्रष्टाचार के इस काम को अंजाम देने के लिए सुपारी तस्कर अल्ताफ भोपाली (सुपेड़ीवाला) को पहल करने के लिए कहा गया। बता दें कि अल्ताफ भोपाली की विभाग के सभी अफसरों से जबरदस्त सांठगांठ है। इसके बाद माहौल धीरे-धीरे शांत होने लगा।
इस दरम्यान, मोरिया और कोल्ड पर छोटी-मोटी दिखावटी कार्यवाही भी विभाग द्वारा होती रही, ताकि व्यापारियों से सांठगांठ और आपसी लेन-देन आसानी से निपट जाए। आखिर विभाग के भ्रष्ट अफसरों की जो नीयत थी और अल्ताफ भोपाली के साथ माल लूटने-खसोटने की जो खिचड़ी पक रही थी, वह सामने आने लगी। तब अल्ताफ भोपाली द्वारा पीड़ित व्यापारियों से उनका सील (जब्त) माल छुड़ाने के लिए बातचीत का दौर शुरू हुआ और आश्चर्यजनक तरीके से बिना दस्तावेजों के उक्त पीड़ित 12-13 व्यापारियों का माल (लगभग 11 करोड़ का) विभाग द्वारा छुड़वाने का सौदा (समझौता) किया गया। यह सौदा, अल्ताफ भोपाली के द्वारा विभाग से हुआ, जिसमें पीड़ित व्यापारियों द्वारा उनके ही जब्त माल को आधी कीमत देकर छुड़ाना तय हुआ। इससे सभी व्यापारियों की नींद हराम हो गई। अल्ताफ और विभाग की सांठगांठ होने तथा कोई अन्य रास्ता नहीं होने से ‘मरता क्या न करता’ वाली स्थिति में व्यापारियों ने उक्त सौदे (समझौते) को मजबूरन मंजूर कर लिया। इसमें अल्ताफ और विभाग ने बिना दस्तावेजों के ही व्यापारियों का पूरा माल आधी रकम लेकर छोड़ने की रूपरेखा तैयार की।
फिर लगभग 7 महीने बाद यानी 18-12-19 को रात 9 बजे मोरिया वेयरहाउस से 105 टन सुपारी (लगभग 6 करोड का माल) अल्ताफ द्वारा उठा लिया गया। उसमें से कुछ माल कुछ व्यापारियों को थोड़ा-थोड़ा दिया गया और बाकी माल बाजार में बेचकर नगदी वसूल कर ली गई। यह भी आश्चर्यजनक है कि उक्त 11 करोड़ के माल में से आज 12 महीने के बाद भी कुछ व्यापारियों को मिलने वाले तो 50 प्रतिशत के हिस्से की रकम भी अभी तक पूरी नहीं मिल पाई है। इससे भी व्यापारी चिंतित हैं। वेयरहाउस से माल उठाते वक्त किन-किन दस्तावेजों की विभाग द्वारा खानापूर्ति की गई, इसका पता लगाने पर सभी के होश ही उड़ गए। एक सादे कागज पर विभाग द्वारा (मोरिया वेयरहाउस से 6 करोड़ और हेलीवाल कोल्ड से 5 करोड़) ऐसा लगभग 11 करोड़ के माल को एक फर्जी एवं जाली फार्म मे. सावरिया ट्रेडर्स ( जिसके प्रो. ब्रिजपालसिंह साहनी है) को उक्त माल का मालिक बताकर सभी 12-13 व्यापारियों के माल को अल्ताफ भोपाली को सौंप दिया गया। जबकि विभागीय कार्रवाई के बिल्कुल विपरीत और धोखाधड़ी करके जाली फर्म द्वारा संपूर्ण माल को उठा लिया गया। इस माल की डिलीवरी देर रात 11 बजे तक अधिकारियों एवं अल्ताफ भोपाली सहित ब्रिजपाल सिंह साहनी और अन्यों की उपस्थिति में की गई। इसके सीसीटीवी कैमरे के फुटेज भी उपलब्ध है। जो जाली दस्तावेज इस महा-भ्रष्टाचार में उपयोग में लाए गए, वे भी सभी व्यापारियों के पास है।
गौरतलब है कि जिस मेसर्स सावरिया ट्रेडर्स को इस माल का मालिक (जिम्मेदार) बताया गया, वह एक फर्जी जाली फ़र्म के रूप में जीएसटी विभाग में दर्ज है। इसका मालिक भी फरार है और विभाग द्वारा इस फर्म पर जीएसटी एवं एवं डीआरआई विभाग का करोड़ों रुपया बकाया है। इसके अलावा विभागीय जांच पड़ताल भी जारी है। इस माल की पैकिंग और खरीदी- बिक्री इस फर्म में कहीं भी दर्ज नहीं है। इस फर्म एवं उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच-पड़ताल करने पर ऐसी ही 10-12 फर्जी फर्म उजागर हो सकती हैं, जो कि डीआरआई विभाग के संज्ञान में संदेह के घेरे में रहेगी।
इस प्रकरण की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अल्ताफ भोपाली और विभाग की सांठगांठ किस हद तक है? इस संपूर्ण धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की जांच करने की अपील व्यापारियों ने की है, ताकि दोषियों के चेहरे बेनकाब हो सके और चिंतित-पीड़ित व्यापारियों को न्याय मिल सके। इस प्रकरण के सामने आने के बाद जब व्यापारियों ने समूचा प्रकरण समझा, तब उन्होंने डिप्टी आयुक्त मनीष दूधपरी एवं कस्टम विभाग के प्रधान आयुक्त बीरबलसिंह खट्टर को जानकारी दी। तब उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच करने का आश्वासन व्यापरियों को दिया। इसके अलावा व्यापारियों की पीड़ा समझने की बात भी उन्होंने की और कहा कि वे संबंधितों पर कार्रवाई करने के आदेश भी देंगे। अब व्यापारियों ने जीएसटी कमिश्नर नागपुर, और नागपुर के पुलिस आयुक्त से भी शिकायत करने की बात कही है। उक्त प्रकरण की गहराई से जांच -पड़ताल कर पीड़ित व्यापारियों को न्याय और दोषियों को कड़ा दंड जाने की मांग केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री से की गई.
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