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उच्चतम बेयरिगों के अभाव मे दम तोड रही है सरकारी विधुत परियोजनाएं

Nagpur Today : Nagpur News

निजी पावर प्लांटों को इजाफा

नागपुर। देश की अधिकांश सरकारी ताप बिजली परियोजनाएं उच्चतम बेयरिग के अभाव के कारण यथावत परिचालन डगमगा रहा है।सुविधाओं के अभाव मे सरकारी ताप बिजली परियोजनाएं दम तोड रही है।जबकिि निजी कंपनियों के पावर जनरेशन प्लांट इजाफा मे चल रहे हैं। यह सत्य है कि देश में कोरोना विषाणुओं के प्रादुर्भाव के कारण जारी लाकडाऊन की वजह से विधुत परियोजनाओं का संचालन एवं परिचालन के लिए बेसकीमती बेयरिग खरीदी के लिये सभी प्रदेशों में शासन की ओर से निधि उपलव्ध नहीं कराया गया।

आल इंडिया शोसल आर्गेनाइजेशन के मुताबिक कोराडी की 660 मेगावाट क्षमता वाले संयंत्र क्रं.10 मे बेयरिग खरीदी के लिये जो निधि प्राप्त हूई थी।वह विधुत केन्द्र ओवरायलिंग के लिये खर्च कर दिया गया है।नियमों के मुताबिक प्लांट सिड्डाऊन्ट(ओवरायलिंग)के समय प्रत्येक विधुत केन्द्रों में डैमेज कलपुर्जे की मरम्मत व फिटिंग करते समय कोलमिलें कोल क्रेसर मशीने,कोल कन्वेयर बेल्ट विधुत मोटर फ़ैन,विधुत क्रेने, इत्यादि संयत्रों मे उच्चतम गुणवत्ता के वेसकीमती बेयरिग फिट किया जाना चाहिए।परंतु महाराष्ट्र के सभी ताप विधुत केन्द्रों मे वर्ष 2020 के लिये बेयरिग खरीदी के लिये आवश्यक निधि उपलव्ध नहीं कराया गया। वैसे लाकडाऊन की वजह से बिजली की मांग कम होने के कारण वहुत से केन्द्रों को बंद रखा गया है।परंतु बिजली इकाईयां ठप्प रहने की वजह से पुराने बेयरिगों की गुणवत्ता(कैपेसीटी) अपने आप कमजोर होने की वजह से बेयरिगों को बदलना निहायत जरूरी था?

आर्गेनाइजेशन के संयोजक व वरिष्ठ समाजसेवी पत्रकार टेकचंद्र सनोडिया ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य विधुत निर्माण कंपनी सहित देश के अन्य राज्यों जिसमे एमपी पावर जनरेशन कंपनी,यूपी पावर जनरेशन कंपनी,छत्तीसगढ़ पावर जनरेशन कंपनी,पं बंगाल पावर जनरेशन कंपनी,झारखंड पावर जनरेशन कंपनी,बिहार पावर जनरेशन कंपनी,राजस्थान पावर जनरेशन कंपनी,गुजरात पावर जनरेशन कंपनी,आंध्रप्रदेश पावर जनरेशन कंपनी,उडीशा पावर जनरेशन कंपनी,कर्नाटक पावर जनरेशन कंपनी, पंजाब पावर जनरेशन कंपनी,हरियाणा पावर जनरेशन कंपनी,तामिलनाडू पावर जनरेशन कंपनी, इत्यादि प्रांतों के सभी सरकारी ताप बिजली परियोजनाओं का परिचालन के लिए राज्य शासन की तरफ से बेयरिग खरीदी के लिये आवश्यक निधि उपलव्ध नहीं कराया गया।

उधर डैमेज बेयरिगों की वजह से जनरेशन पावर प्लांट का वुनियादी ढांचा डगमगा रहा है। जबकि देश की सभी निजी ताप बिजली परियोजनाओं का संचलन और परिचालन के लिए निजी कंपनी के मुख्यालयों की तरफ से उच्चतम गुणवत्ता के बेसकीमती बेयरिगों की खरीदी के लिये आवश्यक निधि उपलव्ध नहीं कराया जा रहा है और इसी वजह से निजी परियोजनाएं रिकार्ड तोड बिजली उत्पादन मे सक्षम हैं।

तकनीशियनों की माने तो प्रत्येक राज्यों के भी पावर जनरेशन प्लांट के लिये प्रति वर्ष 10 करोड रुपये के बेयरिंग खरीदना होता है। यानी देश के सभी सरकारी बिजली परियोजनाओं में 120 से 130 करोड के बेयरिंग की आवश्यकता पड़ती है।परंतु सभी राज्यों के ऊर्जा मंत्रालयों की लालफीताशाही के चलते वर्ष 2020 में बेयरिंग नही खरीदा जा सका।उसी तरह बिजली परियोजनाओं के आवश्यक अन्य कलपुर्जों मे लगने वाला मटेरियल(सामान) खरीदने मे वित्त मुख्यालयों ने कंजूसी दर्शाया,नतीजतन सभी सरकारी विंधुत प्लांट धूल खा रहे है?अनेक राज्यों के अनेक बिजली केन्द्र का निर्माण किया गया तब से अभि तक उसमे रंग-रोगन (पेन्ट) भी नहीं किया गया।इतना ही नहीं साफ-सफाई के मामले मे भी सरकारी बिजली परियोजनाओं का हाल बेहाल है।जबकि सभी निजी विधुत परियोजना चकाचक और व्यवस्थित ऊर्जा उत्पादन एवं विकास कार्य प्रगति की ओर है।

*निजी प्लांटों को उत्कृष्ट गुणवत्ता का कोयला*
इतना ही नहीं निजी कंपनियों के पावर जनरेशन प्लांटों के लिये उच्चतम गुणवत्ता का कोयला उपलव्ध कराया जा रहा है। परंतु सरकारी ताप बिजली परियोजनाओं के लिये अत्यंत घटिया और निकृष्ट दर्जे का कोयला उपलव्ध कराया जा रहा है।जिसमे ज्वलन क्षमता बहुत ही कम प्रमाण मे पाई जाती है।जबकि निजी कंपनियों के पावर जनरेशन प्लांटों के लिये उच्चतम ज्वलन क्षमता वाला कोयला उपलव्ध कराया जा रहा है।

इतना ही नहीं सरकारी ताप बिजली परियोजनाओं का रख-रखाव,मरम्मत व साफ-सफाई उच्चतम गुणवत्ता की तथा श्रमिकों मे अपने कार्यो के प्रति हर्ष व्याप्त है तो सरकारी ताप बिजली परियोजनाएं यथावत रख-रखाव के अभाव में जनरेशन प्लांट दम तोड रहे हैं। क्योंकि निजी कंपनियों के पावर जनरेशन प्लांटों मे सतर्कता समयसूचकता और कर्तव्यपरायणता बरकरार होने से निजी कंपनियां फायदा मे चल रहीं हैं वही सरकारी ताप बिजली परियोजनाओं मे व्याप्त अनियमितता,भ्रष्टाचार और कामचोरी चरम पर होने की वजह से ये पावर प्लांट घाटे के गर्त मे डूबते नजर आ रहे हैं।

उच्चतम बेयरिगों के अभाव मे दम तोड रही है सरकारी विधुत परियोजनाएं



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