सिर्फ डामरीकरण के प्रस्तावों को दी जा रही जाँच की ‘हुल’
– जबकि सीमेंट सड़क,डब्ल्यूबीएम सड़क,नाले,पुलिया आदि की गुणवत्ता जाँच उसके बाद भुगतान का नियम हैं.
नागपुर – अनुशासित मनपायुक्त के कार्यकाल में शत-प्रतिशत गुणवत्तापूर्ण काम हो,यह जनमानस है.लेकिन मनपा लोककर्म विभाग के अधीक्षक कार्यालय सभी सीमेंट सड़क,डब्ल्यूबीएम सड़क,नाले,पुलिया आदि की गुणवत्ता जाँचने के बजाय चुनिंदा ठेकेदार कंपनी को छोड़ शेष डामरीकरण का काम करने वाले ठेकेदारों के कामकाज की जाँच हेतु प्रस्ताव मनपा प्रयोगशाला विभाग भेज रही.क्या यह ग़ैरकृत नहीं,क्या ‘चिरग तले अंधेरा’ हैं.
अधीक्षक अभियंता कार्यालय के निशाने पर आये डामरीकरण के ठेकेदार सहम गए और एक-एक फाइलों को भुगतान के लिए आगे बढ़ा रहे.जैसे बजाज,मुकेश,एसके गुरु,एसजी लुल्ला ,ओजी आदि समूह का फाइल में भेजा गया हैं.
ऑनलाइन को दरकिनार कर हाथों-हाथ घुमाया जा रहा
सिर्फ कागजों पर मनपा प्रशासन ऑनलाइन होने का दावा पेश कर खुद की पीठ थपथपा रही.जबकि अधीक्षक अभियंता कार्यालय चुनिंदा ठेकेदारों के फाइलों पर हस्ताक्षर जैसे कार्य निपटाकर हाथों-हाथ फाइलें घुमाने हेतु ठेकेदारों को थमाते देखें गए.इस गंभीर मामले की सघन जाँच बाद ‘दूध का दूध,पानी का पानी’ हो जाएगा।
दोहरा पद लाभ उठा रहा उपअभियंता
अधीक्षक अभियंता के वरदहस्त से इनके अधीनस्त उपअभियंता को ही प्रयोगशाला का मुखिया बनाया गया.इनके विभागीय सूत्रों के अनुसार उपअभियंता जिन ठेकेदारों से समझौता नहीं हुआ उनके ही फाइलों को मनपा प्रयोगशाला भेज दूसरी तरफ से समझौते के किये मजबूर करते हैं.जबकि प्रयोगशाला में कायदे से सभी ठेकेदारों का फाइल आना चाहिए,फिर उनके कामों का कार्यक्षेत्र में जाकर सैंपल लेकर जाँच की जानी चाहिए,लेकिन नियमानुसार ऐसा कुछ नहीं होता।इतना ही नहीं कोई भी ठेकेदार अपने फाइलों को लेकर अधीक्षक अभियंता कार्यालय पहुंचा तो अधीक्षक अभियंता सीधा हाथ खड़ा कर देते हैं और कहते हैं मेरे कक्ष में कोई फाइल नहीं,उइके के पास देख लो.इस लिए इस उपअभियंता की ‘चारों उंगलियां घी में और सर कढ़ाई में ‘ हैं.इस ओर मनपा के तथाकथित आला अधिकारी का ध्यान न होना मनपायुक्त के खिलाफ एक सामूहिक साजिश तो नहीं।
कायदे से यह होना चाहिए
लोककर्म,हॉटमिक्स आदि विभागों के मार्फ़त सभी सीमेंट सड़क,डब्ल्यूबीएम सड़क,नाले,पुलिया,डामरीकरण के ठेकेदारों के कामों की गुणवत्ता जाँच होनी ही चाहिए।लेकिन होता यह हैं कि उक्त काम पूर्ण होने के बाद भुगतान के लिए जोन के कार्यकारी अभियंता से ऑनलाइन और डाक से फाइलें अधीक्षक अभियंता के पास फाइलें आती हैं.फिर यहाँ से ‘प्रोविजन’ के लिए फाइलें भेजी जाती हैं फिर यहाँ से सीधे भुगतान के लिए ‘कैफो’ के पास जाने के बजाय पुनः अधीक्षक अभियंता कार्यालय मंगवा लिया जाता।जिनसे समझौता हो गया,उनके फाइल भुगतान के लिए ‘कैफो’ के पास भेज दिया जाता और जिनसे समझौता नहीं हुआ उनके कुछ फाइलों में से कुछ को प्रयोगशाला भेजा जा रहा.
भुगतान में धांधली
सीमेंट सड़क निर्माण के लिए अधिकतर ठेकेदारों ने ‘जॉइंट वेंचर’ कर ठेका हासिल किया।इसके लिए ‘जॉइंट वेंचर’ खाता खोलना अनिवार्य था और यह भी अनिवार्य था कि मनपा वित्त विभाग इसी ‘जॉइंट वेंचर’ खाता में ही भुगतान करें लेकिन मनपा वित्त विभाग और अधीक्षक अभियंता विभाग कार्यालय से सम्बंधित सूत्रों के अनुसार ‘जॉइंट वेंचर’ खाता में ऑनलाइन पेमेंट भेजने के बजाय ‘जॉइंट वेंचर’ के साझेदार कंपनी के खाते में भुगतान किया गया.मामला गंभीर और गैरकानूनी प्रतीत होता हैं इसलिए इसकी उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए।
सिर्फ डामरीकरण के प्रस्तावों को दी जा रही जाँच की ‘हुल’
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